Sunday 6 January 2013

बस तुम हमारा साथ दो

मैं तुम्हारी ज़िन्दगी से आंसुओं के पल चुराकर,
मुस्कुराते हास के कुछ फूल भर दूंगी,
बस तुम हमारे साथ दो...........

मायूसी के, दुखों के, अवसाद के
लाख छाये मेघ/
खाद पानी भले ही मिलता रहे
विषमताओं का/
निराशाओं के चले हल/
पड़ चुके हो बीज चाहे हार के/
देखना तुम मैं उसी में
सहज ही,
मुस्कान बो दूंगी
बस तुम हमारा साथ दो.....

साथ में चाहे ज़माना हो न हो,
हौसलों से बढ़ा करते काफिले
होठ पर मुस्कान चाहे हो न हो,
आंसुओं से बढ़ा करते हौसले
राह मैं कांटे बिछे या फूल हों,
दृष्टि मे रहती सदा ही मंजिलें,
बन्धनों को /
रूढ़ियों को/
जीर्ण शीर्ण परम्परों को/
दिखा कर ठेंगा
देखना तुम,
एक दिन
मैं ख़ुशी के साथ हो लूँगी,
बस तुम हमारा साथ दो

-मृदुला शुक्ला

1 comment:

  1. मैं तुम्हारी ज़िन्दगी से आंसुओं के पल चुराकर,
    मुस्कुराते हास के कुछ फूल भर दूंगी,
    बस तुम हमारे साथ दो...........
    speechless

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