सुबह से होली की धूम रही
हम एक दुसरे के गालों पर लगा कर
काले, हरे ,सियाह रंग
एक दुसरे के चेहरों को कर बदरंग
नाचते रहे ढोलकी की थाप पर
ढोलकी भी गाता रहा
"चिपका ले सैयां फेविकोल से "
और बेचारा फाग
दूर उदास खड़ा हमें देखता रहा
मैंने बात की तो कहने लगा .......................
अफ़सोस करूँ ये की मुझे भूल गए सब
या यूँ कहूं की लोग मुझे जानते नहीं
फाग .....(फागुन मैं होली पर गाया जाने एक विशेष गीत )
-मृदुला शुक्ला
हम एक दुसरे के गालों पर लगा कर
काले, हरे ,सियाह रंग
एक दुसरे के चेहरों को कर बदरंग
नाचते रहे ढोलकी की थाप पर
ढोलकी भी गाता रहा
"चिपका ले सैयां फेविकोल से "
और बेचारा फाग
दूर उदास खड़ा हमें देखता रहा
मैंने बात की तो कहने लगा .......................
अफ़सोस करूँ ये की मुझे भूल गए सब
या यूँ कहूं की लोग मुझे जानते नहीं
फाग .....(फागुन मैं होली पर गाया जाने एक विशेष गीत )
-मृदुला शुक्ला
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