सुबह तो लपक कर पकड़ते हो तुम हमें
और फिर सबसे पहले मिलती
भी उसे हूँ जो
पावरफुल हो घर में
रिटायर्ड बुजूर्ग ताकते हैं अपनी बारी को
इस उलाहने के साथ
की कौन सा तुम्हे ऑफिस जाना है
कई बार मुझे होठों मैं बुदबुदा कर पढ़ा जाता है
तो कई बार चटखारे लेकर जोर जोरसे
पड़ोसियों को भी कभी कभी सुनना पड़ता है अनचाहे
मुझे अगर मुझे में ताने जैसा मसाला हुआ तो
जितनी मसालेदार हुई
पढ़ी भी जाती हूँ उतने उच्च स्वर मैं
अरे अखबार की
खबर हूँ मैं !
मगर शाम होते ही हो जाती हूँ बासी
फिर एक दिन बेच दी जाती हूँ
कबाड़ी के हाथ कबाड़ के भाव
और रीसाइक्लिंग मैं बिखर जाता है रेशा रेशा मेरा
और आज फिर देखो मैं आ गयी पुनर्जन्म लेकर
अरे हम ख़बरें भी मरती हैं क्या भला
हम तो बस बदल लेती हैं अखबार
मृदुला शुक्ला
और फिर सबसे पहले मिलती
भी उसे हूँ जो
पावरफुल हो घर में
रिटायर्ड बुजूर्ग ताकते हैं अपनी बारी को
इस उलाहने के साथ
की कौन सा तुम्हे ऑफिस जाना है
कई बार मुझे होठों मैं बुदबुदा कर पढ़ा जाता है
तो कई बार चटखारे लेकर जोर जोरसे
पड़ोसियों को भी कभी कभी सुनना पड़ता है अनचाहे
मुझे अगर मुझे में ताने जैसा मसाला हुआ तो
जितनी मसालेदार हुई
पढ़ी भी जाती हूँ उतने उच्च स्वर मैं
अरे अखबार की
खबर हूँ मैं !
मगर शाम होते ही हो जाती हूँ बासी
फिर एक दिन बेच दी जाती हूँ
कबाड़ी के हाथ कबाड़ के भाव
और रीसाइक्लिंग मैं बिखर जाता है रेशा रेशा मेरा
और आज फिर देखो मैं आ गयी पुनर्जन्म लेकर
अरे हम ख़बरें भी मरती हैं क्या भला
हम तो बस बदल लेती हैं अखबार
मृदुला शुक्ला
No comments:
Post a Comment