सन्नाटे बोकर गीत उगाती हूँ
देखो मै तूफानों में भी दीप जलाती हूँ ,
बिजुरी को बाँधा है मैंने आँचल से
मैं मेह खींच कर लाती हूँ काले जिद्दी बादल से,
सूरज भी मेरी खातिर छुप छुप कर छांह करे है
अग्निमुखी गीतों से मै अलख जगाती हूँ,
सन्नाटे बोकर गीत उगाती हूँ!
बंजर मे भी बीजों के बिन आशा के पौध लगाती हूँ
शमशानों मे भी जाकर जीवन ही दोहराती हूँ,
घिर कर के घोर विप्पति मे भी अपना धर्म निभाती हूँ
मैं नीलकंठ विषपायी बनकर जहर पचाती हूँ|
सन्नाटे बोकर गीत उगाती हूँ !
-मृदुला शुक्ला
देखो मै तूफानों में भी दीप जलाती हूँ ,
बिजुरी को बाँधा है मैंने आँचल से
मैं मेह खींच कर लाती हूँ काले जिद्दी बादल से,
सूरज भी मेरी खातिर छुप छुप कर छांह करे है
अग्निमुखी गीतों से मै अलख जगाती हूँ,
सन्नाटे बोकर गीत उगाती हूँ!
बंजर मे भी बीजों के बिन आशा के पौध लगाती हूँ
शमशानों मे भी जाकर जीवन ही दोहराती हूँ,
घिर कर के घोर विप्पति मे भी अपना धर्म निभाती हूँ
मैं नीलकंठ विषपायी बनकर जहर पचाती हूँ|
सन्नाटे बोकर गीत उगाती हूँ !
-मृदुला शुक्ला
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