प्यास का इतिहास लिखे जाने की
मुनादी हुई नक्कार खानों से
(जहाँ कभी नहीं सुनी गयी आवाज तूती की )
बुलाये गए समंदर सारे
झीलें भी न्योती गयीं
नदियां भी आई ,पूरी सजधज से
कुओं ने भी जुगत लगाईं
और शामिल हो गए
सदस्य् मंडल में
तैयार हुआ इतिहास
चटपटी मसालेदार कहानी सा .............
काश! उनमे शामिल होता
आधा भरा घड़ा, या फिर
पूरी भरी सुराही
शायद इतिहास मसालेदार कहानी नहीं
सचमुच होता, प्यास का का इतिहास
-मृदुला शुक्ला
मुनादी हुई नक्कार खानों से
(जहाँ कभी नहीं सुनी गयी आवाज तूती की )
बुलाये गए समंदर सारे
झीलें भी न्योती गयीं
नदियां भी आई ,पूरी सजधज से
कुओं ने भी जुगत लगाईं
और शामिल हो गए
सदस्य् मंडल में
तैयार हुआ इतिहास
चटपटी मसालेदार कहानी सा .............
काश! उनमे शामिल होता
आधा भरा घड़ा, या फिर
पूरी भरी सुराही
शायद इतिहास मसालेदार कहानी नहीं
सचमुच होता, प्यास का का इतिहास
-मृदुला शुक्ला
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